विनय मिश्र
बचपन और किशोरावस्था में जो मेरे लिए हीरो थे, वे अब क्या हो गये, क्या कहूं।


जार्ज फर्नांडिस। वैसे ही हीरो थे मेरे लिए। उनके साथ रहने वाले नेता कहानी सुनाते थे। जार्ज कमीज व पायजामा स्वयं धोते हैं। फिर उन्हें धोकर बिछावन के नीचे रखे देते हैं, ताकि तुड़ी-मुड़ी न दिखें।

अब सुनता हूं कि वे करोड़पती हैं।

उनके विचार-राजनीति-रहन-सहन-बोलचाल सब मुझे लुभाते। 1974 में रेल मजदूरों के लिए उनके नेतृत्व में हुआ आंदोलन पुराने जमाने के लोग आज भी याद करते हैं। इमरजेंसी के दौरान तो वे हीरो की तरह देश भर में भूमिगत आंदोलन चलाते रहे।

जून 1975 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगा दी थी, तो इसको सबसे मुखर चुनौती जिन लोगों ने दी थी, उनमें जार्ज भी प्रमुख थे। इमरजेंसी के दौर में तमाम बड़े नेता तो सहज गिरफ्तार हो गए थे, लेकिन जार्ज ने इंदिरा गांधी के प्रशासन को चुनौती दे दी थी।

वे पूरे एक साल तक इमरजेंसी के खिलाफ देशभर में घूम-घूमकर गोपनीय ढंग से अलख जगाते रहे। बाद में उन्हें कोलकाता में गिरफ्तार किया गया। उन्हें इमरजेंसी के हीरो के रूप में याद जाता है। जेल से ही उन्होंने मुजफ्फरपुर से चुनाव लड़ा था। वोटिंग के बाद जार्ज रिकार्ड मतों से जीते थे। मोरार जी देसाई के नेतृत्व में सरकार बनी, तो उसमें जार्ज उद्योग मंत्री बने थे। मंत्री बनते ही बहुराष्ट्रीय कंपनी- आईबीएन और कोको कोला को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।

वीपी सिंह की सरकार में वे कुछ समय के लिए रेल मंत्री भी बने थे। इस दौर में उन्होंने रेलवे के ड्रीम प्रोजेक्ट कोंकण रेलवे को आगे बढ़ा दिया था। बाद में जनता दल से अलग होने के बाद 1994 में उन्होंने समता पार्टी बना ली थी। अब वही जद (यू) के रूप में जानी जाती है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वे प्रतिरक्षा मंत्री थे। इस कार्यकाल में उन्होंने सेना के जवानों के कल्याण के लिए कई ऐतिहासिक फैसले कराए थे।

उनकी करीबी जया जेटली ‘तहलका’ के एक स्टिंग में फंस गई थीं। वे चंदे के नाम पर रक्षा मंत्रालय से कोई काम कराने का ‘सौदा’ कर रहीं थीं। इस विवाद में जार्ज को मंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था।

जार्ज पूर्वोत्तर की समस्याओं को लेकर भी गजब सक्रिय रहते थे। जब तहलका मामले में उनकी किरकिरी होने लगी, तो मुझे भी बुरा लगता था।

अब तो और बुरा लग रहा है।

बीमारी और बुढ़ापा से पहले से परेशान जार्ज को उनके अपनों ने और ज्यादा परेशान कर रखा है। अभी कुछ दिन पूर्व उनके सहयोगी नीतीश कुमार ने भी उन्हें टिकट नहीं देकर परेशान किया था।
जार्ज ने अपने जीवन में बड़े संघर्ष किये हैं, एक समय तक ईमानदार कहे जाने वाले, ताबूत घोटाले के संदर्भ में बहुत बेईमान भी कहे गये। इस समय 25 करोड़ की सम्पत्ति के मालिक हैं और 25 वर्ष बाद पत्नी लैला कबीर तथा इकलौते बेटे शान उनकी सेवा के लिये आ गये हैं। अल्जाइमर्स से ग्रस्त होने के कारण जार्ज अपनी याददाश्त पूरी तरह से खो चुके हैं।

जार्ज के भाई, मित्र और शुभचिंतक परेशान हैं। फर्नाडिस को अल्जाइमर्स है और वे केवल अपनी मातृ भाषा कोंकणी में ही बात कर पाते है।

वर्षो पूर्व काशीराम की भी यही स्थिति थी जब उनकी माँ, भाईयों से मायावती का विवाद हुआ था तथा बात कोर्ट कचहरी तक पहुंची थी।

जार्ज भी कोर्ट कचहरी के चक्कर में हैं। भगवान जाने, वे तो समझ भी नहीं पाते होंगे कि क्या हो रहा है। उनकी बेचारगी मुझे परेशान कर रही है। वे मेरे लिए हीरो की तरह थे।

अब...

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