विनय मिश्र
मैंने भी ब्लॉग बना लिया है। और उसे थोड़ा सुंदर बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की। दिन-रात इस लिए की सब खुद करना था। ऑप्शन के बारे में जानकारी कम। जो करना था, सीख-समझ कर। सो खूब मेहनत की।

ब्लॉग बन कर तैयार हो गया, तो सोचा लिखा जाये। लिखने की तैयारी शुरू की। लेकिन जाड़े का मौसम शुरू हो गया। आलस व दैनिक काम के बोझ से दबा-सकुचाया रहा। अब उससे भी उबार पा लिया है।

सो लिखूंगा।

कुछ कविताएं।

कुछ यादें।


......
Share/Save/Bookmark
0 Responses